वरिष्ठ प्रो. श्यौराज सिंह 'बेचैन' से विशेक का संवाद
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अदम्य के अंक
अदम्य पत्रिका (त्रैमासिक) का मुख्यतः सरोकार भाषा, साहित्य और समाज से है। चूंकि भाषा और साहित्य मनुष्य को संगठित, संवेदनशील और विकसित करने में मदद करती है। अतएव भाषा और साहित्य का विस्तार मनुष्यता का विस्तार है। अदम्य पत्रिका इस सृजनात्मक एवं संवेदनात्मक विकास को विस्तृत करने की एक सार्थक पहल है।
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