शोध आलेख हेतु विशेष निर्देश
भाषा : हिन्दी
फॉन्ट : मंगल
फॉन्ट साइज़ : 12
सन्दर्भ : एंड नोट (नीचे दिये गए निर्देशानुसार)
फ़ाइल : वर्ड और पीडीएफ़ दोनों में
शब्द सीमा : 1500 से 3000
स्पेसिंग : 1 इंच (Top, Bottom, Left, Right)
शोध सार (Abstract) : सौ शब्दों में
बीज शब्द (Keywords) : चार से आठ शब्द
निष्कर्ष (Conclusion) : अंत में सौ से दो सौ शब्दों में
शोध आलेख मौलिक, अप्रकाशित एवं 1500 से 3000 शब्दों में 'मंगल' 12 फांट, 1.5 स्पेसिंग में टंकित होना चाहिए।
शोध आलेख के आरंभ में अधिकतम सौ शब्दों में सारांश (Abstract) लिखा हो।
आलेख में आए पारिभाषिक शब्दों का ‘बीज शब्द’ (Keywords) के रूप में सारांश के ठीक नीचे उल्लेख किया जाना चाहिए।
संदर्भ लेखन हेतु एक विस्तृत निर्देश नीचे दिया गया है। इसका पालन करने के पश्चात ही लेखों पर विचार किया जाएगा।
उद्धरण देते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि यदि बहुत जरुरी हो तभी उद्धरण दें। केवल खानापूर्ति के लिए उद्धरण न दें । वह आपके विचारों को पुष्ट करने वाला होना चाहिए। उसे उद्धरण चिह्न के भीतर ही लिखें । इटैलिक या बोल्ड करके की जरुरत नहीं है । जिस पुस्तक से लिया गया हो उसकी समस्त प्रामाणिक सूचना संदर्भ सूची में दर्ज होनी चाहिए।
आपके विचारों को पुष्ट करने वाले ऐसे उद्धरण जिसे आप शोध आलेख के भीतर नहीं देना चाहते उसे संदर्भ सूची में दे सकते हैं।
काव्य पंक्तियों को इटैलिक में लिखें । यदि आवश्यक न हो तो उसे एक ही पंक्ति में लिखें।
पूर्णविराम का ही प्रयोग करें, डॉट का नहीं।
विषय विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित/मूल्यांकित होने के पश्चात ही शोध आलेखों का प्रकाशन हेतु चयन किया जाएगा। इसके स्वीकृत/ अस्वीकृत होने की सूचना यथाशीघ्र लेखक को उचित माध्यम द्वारा दी जाएगी।
संदर्भ लेखन हेतु निर्देश
संदर्भ लेखन में सदा 'एंडनोट' (Endnote) का इस्तेमाल किया जाएगा । फूटनोट (Footnote) स्वीकार नहीं होंगे।
पुस्तक से लिए गए संदर्भ निम्न तरीके से लिखे जाएंगे :
लेखक का नाम, पुस्तक का नाम (प्रकाशन वर्ष), प्रकाशन संस्थान का नाम, प्रकाशन स्थल, पृष्ठ संख्या
उदाहरण-निर्मल वर्मा, ‘सर्जना पथ के सहयात्री’ (2008), ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, पृ. 125
एक ही पुस्तक या पत्रिका से तत्काल बाद कोई संदर्भ आता है तो उसे ‘वही, पृष्ठ संख्या’ लिखकर संदर्भन किया जाएगा । अगर पृष्ठ भी नहीं बदला तो सिर्फ 'वही' पर्याप्त होगा।
एक ही संदर्भ यदि बार बार आ रहा हो तो पुस्तक का नाम और पृष्ठ संख्या दे देना पर्याप्त होगा। जैसे-‘सर्जना पथ के सहयात्री’,पृ.125
लेखकों के नाम भारतीय पद्धति के अनुसार लिखे जाएंगे । उनके उपनाम को पहले लिखने की पश्चिमी पद्धति का अनुसरण नहीं किया जाएगा। 'शुक्ल, रामचन्द्र' की जगह 'रामचंद्र शुक्ल' लिखा जाएगा।
लेखक के नाम के साथ पदनाम (प्रो. या आचार्य) या सम्मान सूचक शब्द (श्री या श्रीमती) नहीं लिखा जाएगा। यदि यह लेखक के नाम के साथ ही जुड़ा हुआ है तो उसे लिख सकते हैं, जैसे-श्रीप्रकाश या मोती बी. ए. ।
पुस्तक और लेख के शीर्षक एकल उद्धरण चिह्न ('मध्यकालीन भक्ति साधना') के अंतर्गत लिखे जाएंगे ।
अगर किताब के एक से ज्यादा संस्करण छप चुके हैं तो जिस संस्करण का इस्तेमाल हुआ है, उसके जिक्र के साथ कोष्ठक में मूल प्रकाशन वर्ष भी जाएगा।
जैसे- व्रजेश्वर वर्मा, 'सूरदास' (2008 (प्रथम संस्करण 1946)), लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, पृ.45
संपादित किताब में छपे लेख-
लेख के लेखक का नाम, लेख का शीर्षक, संपादक का नाम, संपादित पुस्तक का शीर्षक (संपादित पुस्तक का प्रकाशन वर्ष), प्रकाशन संस्थान का नाम, प्रकाशन स्थान का नाम, पृष्ठ संख्या
उदाहरण- रमेशचन्द्र शाह , ‘आंगन के पार द्वार’, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी(सं), 'अज्ञेय' (1994), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नयी दिल्ली, पृ. 45
पत्रिका में प्रकाशित आलेख-
लेखक का नाम, लेख का शीर्षक, पत्रिका का नाम (प्रकाशन वर्ष), प्रकाशन वर्ष की संख्या, अंक संख्या (प्रकाशन का माह), पृष्ठ संख्या
उदाहरण- सूर्यप्रसाद दीक्षित दीहित, ‘संत काव्य में प्रतिरोधी स्वर’, हिन्दी अनुशीलन (2021), वर्ष 63, अंक 1-2 (जनवरी जून), पृ. 24
अनूदित पुस्तक में आलेख-
लेखक का नाम, पुस्तक का नाम (प्रकाशन वर्ष), अंग्रेजी से अनुवाद के साथ अनुवादक का नाम, प्रकाशन संस्थान, प्रकाशन स्थल, पृष्ठ संख्या
उदाहरण- जॉन स्ट्रैटन हौली, 'भक्ति के तीन स्वर' (2019), अंग्रेजी से अनुवाद अशोक कुमार, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली, पृ. 77
अखबार में छपी रचना-
लेख : बलबीर पुंज, 'हमारी न्याय व्यवस्था पर बीबीसी का प्रहार', अमर उजाल, प्रयागराज, 31 जनवरी, 2023
प्रकाशित साक्षात्कार-
उद्धरण चिह्नों के भीतर साक्षात्कार देने वाले और लेने वाले का नाम, एवं उसका शीर्षक अंकित किया जाना चाहिए। यदि साक्षात्कार पुस्तक में हो तो पुस्तक वाला और यदि पत्रिका या अखबार में हो तो उसकी संदर्भ पद्धति का अनुसरण किया जाएगा।
उदाहरण- मैनेजर पांडेय पांडेय, ‘मैनेजर पांडेय की ब्रजमोहन सिंह से बातचीत', 'कविता मानवता की मातृभाषा है', ‘मेरे साक्षात्कार’ (1998), किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली, पृ. 15
इंटरनेट से ली गई सामग्री-
उपलब्ध सामग्री का पूर्ण लिंक दिया जाना चाहिए। जिस भी भाषा में लिंक उपलब्ध हो उसे उसी भाषा में कॉपी करके पेस्ट किया जाना चाहिए, साथ ही जिस दिन उस लिंक को देखा गया है उस तारीख का उल्लेख होना चाहिए। वेब पेज और लेख के शीर्षक सहित लेखक के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए।
उदाहरण- ‘समालोचन’ पर रोहिणी अग्रवाल का लेख ‘स्त्रीवादी आलोचना का श्वेत पत्र’: https://samalochan.com/feminist-criticism/, 02 सितंबर, 2023 को उपलब्ध
अंग्रेजी की पुस्तकों का नाम लिप्यंतरित कर देवनागरी लिपि में लिखें, जैसे- 'फॉरेस्ट्री इन ब्रिटिश ऐंड पोस्ट ब्रिटिश इंडिया : अ हिस्टोरिकल एनालिसिस' ।